Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2022 मधु

यूपी के एक छोटे से गांव में रामप्रसाद नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसकी पत्नी का स्वर्गवास हो चुका था। उसकी 14वर्ष  बेटी का नाम  मधु था।


रामप्रसाद शहर में एक बड़े व्यापारी के यहां रसोईया था। रामप्रसाद के सेठ शिवकमार के पास धन दौलत की कमी नहीं थी। लेकिनवहअपनी पत्नी के निधन के बाद जीवन से निराश हो चुका था। शिवकुमार सेठ की धन दौलत जमीन जाएदाद को संभालने वाला उसका कोई वारिस नहीं था।शिवकुमार अपनी पत्नी की याद में दिन रात शराब के नशे में रहता था। 

ज्यादा शराब पीने की वजह से एक दिन शिवकमार की तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है।

डॉक्टररामपसाद को बताता है कि शिवकुमार सेठ अगर इसी तरह रोज शराब पीता रहा तो एक दिन इसकी जिंदगी खतरे में आ सकती है। 

 शिवकुमार रामप्रसाद को अपने पिता जैसे आदर और सम्मान देता था। रामप्रसाद शिव कुमार का जीवन बचाने के लिए अपनी 14 वर्ष की बेटी मधु काबाल विवाह उसकी दो गुना आयु वाले व्यक्ति शिवकुमार से करवा देता है।

मधु के विवाह के कुछ ही महीनों बाद रामप्रसाद का स्वर्गवास हो जाता है।

मधु जब से शिव कुमार से शादी हुई थी। अपनी मर्जी से घर की रसोई के बाहर अपना बिस्तर जमीन पर कर कर सोती थी। शिवकुमार को किसी भी समान या वस्तु की जरूरत पड़ती थी, तो मधु चुपचाप शिवकुमार के कमरे में जाकर उसकी टेबल पर रख कर वापस आ जाती थी। और शिव कुमार की बातों का जवाब सिर्फ हां या ना में ही देती थी।

 मधु मन लगाकर शिवकुमार की सेवा करती थी। और उसकी देखभाल करती थी। मधु की देखभाल और सेवा से शिवकुमार धीरे-धीरे शराब पीना छोड़ देता है। 

मधु अपने  घर के सामने से स्कूल के बच्चों को जब आते जाते देखती थी। और जब कभी अपनी आयु के बच्चों को खेलता देखती थी, तो उसे अपनी सहेलियों और मित्र अंकित की बहुतयाद आती थी। अंकित मधुके पड़ोस में ही रहता था। और दोनों साथ विद्यालय जाते थे। मधु और अंकित पक्के और सच्चे मित्र थे। और शाम को अपने घर के आगे वाले बड़े मैदान में मधु अंकित और उसकी सहेलियां खूब खेलते थे। मधु  अंकित एक दूसरे  से अपनी मन की बातें नहीं छुपाते थे। छोटा बड़ा कोई भी त्यौहार हो मधु अंकित और अपनी सहेलियों के साथ बहुत खुशी और उत्साह से मनाती थी। मधु इन सबके साथ  अपने गांव में अपना जीवन हंसी खुशी से बिता रही थी। 

बाल विवाह के बाद मधु का जीवन बिल्कुल ही बदल गया था। पहले जैसे मधु के चेहरे पर हंसी खुशी नहीं रहती थी। खुशियां उससे बहुत दूर हो गई थी। मधु को जब अपना बीता हुआ समय याद आता था, तो वह छत पर जाकर तारे देखते हुए अपने पिता सहेलियों अंकित को बहुत याद करती थी। और अपने आप से ही घंटों बातें करके अपने मन का बोझ हल्का करत थी।

 एक दिन मधु बहुत दुखी होकर अपने आप से ही अकेले में छत पर जा कर बातें कर रही थी। कि अब मेरी मुलाकात अपनी सहेलियों और अंकित से कभी नहीं हो पाएगी। और खुशियों से भरा वह बीता हुआ समय अब कभी मुझे नहीं मिल पाएगा। सिसकियां भर कर रोते हुए मधु पीछे पलट कर देखती है, तो शिवकुमार खड़ा हुआ था। शिवकुमार को देखकर मधु जल्दी से अपनी आंखों के आंसू पहुंचकर रसोई के सामने लगे बिस्तर में आकर सो जाती है। शिवकुमार को मधु की सारी बातें सुनकर बहुत दुख पहुंचता है। 

दूसरे दिन ही शिवकमार मधु को तलाक देकर अपने साथ ले जाकर अंकित की मर्जी पूछ कर अंकित केपरिवार से बात करके मधु और अंकित का शादी का रिश्ता पक्का कर देता है। और मधु के नाम अपनी आधी  वसीयत लिख देता है। शिव कुमार की वजह से मधु के जीवन में दोबारा वही खुशियों का समय आ जाता है।

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7 Comments

Gunjan Kamal

11-Dec-2022 02:07 PM

प्रेरक कहानी

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 09:12 PM

Nice 👍🏼

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shweta soni

09-Dec-2022 07:30 PM

Very nice

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